Friday, November 14, 2025

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गाय गोहरी पर्व एवं दीपावली मिलन समारोह मनाया मन्नतधारियो के ऊपर से गुजरी गाये

संवाददाता : जिला ब्यूरो विजय द्विवेदी

चिराखान। दीपो का पर्व दीपावली गाँव एवं आसपास के क्षेत्र मे उत्साह से मनाया गया।पुरा गाँव दीपों की रोशनी से जगमगा उठा मंदिरो, घरों व दुकानों को आकर्षक विधुत लाईट से सजाया गया।वही गुडी पडवा के दिन अलसुबह ही सभी देव स्थलों पर ग्रामीणों ने मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए एवं सुख समृद्धि की कामना की वही एक दुसरे के घर जाकर बधाई दी।

नगर व आसपास क्षेत्र में पड़वा गोवर्धन पूजा के दिन उस समय हजारों की भीड़ में उपस्थित जनसमूह रोमांचित हो उठे, जब एक मैदान में पेट के बल लेटे लोगों को रौंदते हुए सैकड़ों की संख्या में गोवंश गुजरे ,इस रोमांचित कर देने वाले पर्व को देखने के लिए आसपास से बडी संख्या में जनसेलाब उमड़ा ,इस पर्व की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है कि गांव के रहवासियों की गाय को विभिन्न परंपारिक सामग्रियों से सुसज्जित कर मैदान में लाया जाता है,गो पालको के द्वारा पटाखे फोड़कर जमकर आतिशबाजी कर एक दुसरे को गले मिलकर बधाई दी जाती है | इसके बाद पारंपारिक वेशभूषा में सज्जित साधकों गौहरी पढ़ने की मन्नत लेने वाला को मैदान में नियत स्थान पर पेट के बल लेट जाते है एक इशारा मिलते ही मैदान के एक छोर से सैकड़ों की संख्या में गोवंश गाय दौड़कर उन्हें रौंदते हुए दूसरे छोर से अपने-अपने ठिकानों की और चली जाती है इस दृश्य को देखने वाले रोमांचित हो उठते हैं उनके मुख से चिख भी निकल जाती है लेकिन गोवंश के खुरो तले रौंदने वाला साधक को दिक्कत नहीं होती है, इस दौरान साधक पारम्परिक गीत गाता रहता है इस पर्व के एक दिन पूर्व की दीपावली की शाम को मैदान में साधकों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है |

इस परम्परा को अनुयाई लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें गौ माता का आशीर्वाद मिलता है तथा गोहरी पढ़ने वाले साधको की मनोकामना पूर्ण होती है तथा सुख शांति वैभव मिलता है अपनी पुश्तैनी संस्कृति परंपराओं की और आस्था एवं विश्वास कायम है गोहरी पढ़ने वाले साधक जनों ने इस गौ माता का आशीर्वाद मांगते हुए बताया कि गायों के कठोर खुरो वाले सैकड़ों पेर ऊपर पीठ से गुजरते हैं तो उन्हें एहसास होता है मानो किसी के द्वारा उनकी पीठ पर फूलों की बारिश की जा रही हो गोहरी पर्व के दिन हर समाज के किसान वर्ग द्वारा अपनी गायों एवं बैलों की अन्नदाता के रूप में पूजा की जाती है।

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गाय गोहरी पर्व एवं दीपावली मिलन समारोह मनाया मन्नतधारियो के ऊपर से गुजरी गाये

संवाददाता : जिला ब्यूरो विजय द्विवेदी

चिराखान। दीपो का पर्व दीपावली गाँव एवं आसपास के क्षेत्र मे उत्साह से मनाया गया।पुरा गाँव दीपों की रोशनी से जगमगा उठा मंदिरो, घरों व दुकानों को आकर्षक विधुत लाईट से सजाया गया।वही गुडी पडवा के दिन अलसुबह ही सभी देव स्थलों पर ग्रामीणों ने मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए एवं सुख समृद्धि की कामना की वही एक दुसरे के घर जाकर बधाई दी।

नगर व आसपास क्षेत्र में पड़वा गोवर्धन पूजा के दिन उस समय हजारों की भीड़ में उपस्थित जनसमूह रोमांचित हो उठे, जब एक मैदान में पेट के बल लेटे लोगों को रौंदते हुए सैकड़ों की संख्या में गोवंश गुजरे ,इस रोमांचित कर देने वाले पर्व को देखने के लिए आसपास से बडी संख्या में जनसेलाब उमड़ा ,इस पर्व की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है कि गांव के रहवासियों की गाय को विभिन्न परंपारिक सामग्रियों से सुसज्जित कर मैदान में लाया जाता है,गो पालको के द्वारा पटाखे फोड़कर जमकर आतिशबाजी कर एक दुसरे को गले मिलकर बधाई दी जाती है | इसके बाद पारंपारिक वेशभूषा में सज्जित साधकों गौहरी पढ़ने की मन्नत लेने वाला को मैदान में नियत स्थान पर पेट के बल लेट जाते है एक इशारा मिलते ही मैदान के एक छोर से सैकड़ों की संख्या में गोवंश गाय दौड़कर उन्हें रौंदते हुए दूसरे छोर से अपने-अपने ठिकानों की और चली जाती है इस दृश्य को देखने वाले रोमांचित हो उठते हैं उनके मुख से चिख भी निकल जाती है लेकिन गोवंश के खुरो तले रौंदने वाला साधक को दिक्कत नहीं होती है, इस दौरान साधक पारम्परिक गीत गाता रहता है इस पर्व के एक दिन पूर्व की दीपावली की शाम को मैदान में साधकों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है |

इस परम्परा को अनुयाई लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें गौ माता का आशीर्वाद मिलता है तथा गोहरी पढ़ने वाले साधको की मनोकामना पूर्ण होती है तथा सुख शांति वैभव मिलता है अपनी पुश्तैनी संस्कृति परंपराओं की और आस्था एवं विश्वास कायम है गोहरी पढ़ने वाले साधक जनों ने इस गौ माता का आशीर्वाद मांगते हुए बताया कि गायों के कठोर खुरो वाले सैकड़ों पेर ऊपर पीठ से गुजरते हैं तो उन्हें एहसास होता है मानो किसी के द्वारा उनकी पीठ पर फूलों की बारिश की जा रही हो गोहरी पर्व के दिन हर समाज के किसान वर्ग द्वारा अपनी गायों एवं बैलों की अन्नदाता के रूप में पूजा की जाती है।

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