Friday, November 14, 2025

National

spot_img

मोतियाबिंद पूर्णतया ठीक करने का विश्वास दिलवाकर आंख में लैंस लगाया, चिकित्सक द्वारा लापरवाही बरतने पर मरीज की एक आंख की रोशनी गई

संवाददाता : सुरेश सैनी

झुंझुनू, 25 अक्टूबर ।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार मील एवं सदस्य प्रमेंद्र कुमार सैनी की बैंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में चिकित्सीय लापरवाही के मामले में मरीज के पक्ष में फैसला सुनाया है। आयोग ने सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल स्टेशन रोड नवलगढ़ व चिकित्सक डॉ ईसरत सदानी को छह लाख पचास हजार रुपये का मुआवजा 45 दिवस के भीतर पीड़िता को अदा करने के आदेश दिए हैं।
उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष एवं पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार मील ने फैसले में लिखा है कि “ प्रकृति ने मानव, पशु-पक्षी में कोई भेदभाव नहीं करते हुए सभी को 2 आखों का उपहार दिया है। 1-1 आंख का अपना अलग महत्व है। जब एक मानव अपनी पीड़ा लेकर चिकित्सक के पास आता है, तो वह उम्मीदों से भरा रहता है। वह चिकित्सक पर उसी रूप में विश्वास करता है, जिस प्रकार एक सद्भावी व्यक्ति अपने ईष्ट देवता या प्राकृतिक रूप से मौजूद सूर्य, जल, वायु व अग्नि के होने का विश्वास करता है। ”
आयोग की टिप्पणी है कि इस प्रकरण में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेडिकल नेगलीजेन्सी के मामलों में सुस्थापित विधि की अवधारणा “परिस्थितियां स्वयं बोलती है” का सिद्धांत लागू होता है।

आयोग ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि “आँख मनुष्य के लिए प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। इसका महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि आँख में होने वाली किसी भी तरह की तकलीफ या क्षति मानव जीवन के हर पल को प्रभावित करती है, जिससे गहन पीड़ा और असुविधा होती है। इस प्रकार, आँख की क्षति न केवल शारीरिक बल्कि एक प्राकृतिक और अनमोल हानि भी है।”

आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि “मरीज का उपचार विश्वास पर आधारित होता है। जब कोई व्यक्ति चिकित्सक के पास जाता है तो वह उसके जीवन की रक्षा की उम्मीद करता है, इसलिए चिकित्सक पर यह नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह पूर्ण सावधानी बरते।”

गौरतलब है कि वर्ष 2012 में परिवादी श्रीराम पुत्र नरायणराम, निवासी जोगियों का बास तहसील लक्ष्मणगढ़ जिला सीकर ने आंख के उपचार के लिए सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल नवलगढ़ में ऑपरेशन करवाया था। ऑपरेशन के बाद मरीज को आंख में तेज दर्द, सूजन और दिखाई देने में परेशानी बनी रही। लगातार इलाज के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। परिवादी ने वापस ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक को दिखाया तब उसे दवाईयां दी गई लेकिन 3 माह से अधिक समय बीत जाने पर भी स्वस्थ नहीं होने पर उसने झुंझुनूं, पिलानी, सीकर के बाद जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाया, तो बताया गया कि आंख में लैंस सही नहीं लगाया गया है। परिवादी की नेत्र की रोशनी जाने पर उसने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद पेश किया।

International

spot_img

मोतियाबिंद पूर्णतया ठीक करने का विश्वास दिलवाकर आंख में लैंस लगाया, चिकित्सक द्वारा लापरवाही बरतने पर मरीज की एक आंख की रोशनी गई

संवाददाता : सुरेश सैनी

झुंझुनू, 25 अक्टूबर ।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार मील एवं सदस्य प्रमेंद्र कुमार सैनी की बैंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में चिकित्सीय लापरवाही के मामले में मरीज के पक्ष में फैसला सुनाया है। आयोग ने सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल स्टेशन रोड नवलगढ़ व चिकित्सक डॉ ईसरत सदानी को छह लाख पचास हजार रुपये का मुआवजा 45 दिवस के भीतर पीड़िता को अदा करने के आदेश दिए हैं।
उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष एवं पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार मील ने फैसले में लिखा है कि “ प्रकृति ने मानव, पशु-पक्षी में कोई भेदभाव नहीं करते हुए सभी को 2 आखों का उपहार दिया है। 1-1 आंख का अपना अलग महत्व है। जब एक मानव अपनी पीड़ा लेकर चिकित्सक के पास आता है, तो वह उम्मीदों से भरा रहता है। वह चिकित्सक पर उसी रूप में विश्वास करता है, जिस प्रकार एक सद्भावी व्यक्ति अपने ईष्ट देवता या प्राकृतिक रूप से मौजूद सूर्य, जल, वायु व अग्नि के होने का विश्वास करता है। ”
आयोग की टिप्पणी है कि इस प्रकरण में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेडिकल नेगलीजेन्सी के मामलों में सुस्थापित विधि की अवधारणा “परिस्थितियां स्वयं बोलती है” का सिद्धांत लागू होता है।

आयोग ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि “आँख मनुष्य के लिए प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। इसका महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि आँख में होने वाली किसी भी तरह की तकलीफ या क्षति मानव जीवन के हर पल को प्रभावित करती है, जिससे गहन पीड़ा और असुविधा होती है। इस प्रकार, आँख की क्षति न केवल शारीरिक बल्कि एक प्राकृतिक और अनमोल हानि भी है।”

आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि “मरीज का उपचार विश्वास पर आधारित होता है। जब कोई व्यक्ति चिकित्सक के पास जाता है तो वह उसके जीवन की रक्षा की उम्मीद करता है, इसलिए चिकित्सक पर यह नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह पूर्ण सावधानी बरते।”

गौरतलब है कि वर्ष 2012 में परिवादी श्रीराम पुत्र नरायणराम, निवासी जोगियों का बास तहसील लक्ष्मणगढ़ जिला सीकर ने आंख के उपचार के लिए सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल नवलगढ़ में ऑपरेशन करवाया था। ऑपरेशन के बाद मरीज को आंख में तेज दर्द, सूजन और दिखाई देने में परेशानी बनी रही। लगातार इलाज के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। परिवादी ने वापस ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक को दिखाया तब उसे दवाईयां दी गई लेकिन 3 माह से अधिक समय बीत जाने पर भी स्वस्थ नहीं होने पर उसने झुंझुनूं, पिलानी, सीकर के बाद जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाया, तो बताया गया कि आंख में लैंस सही नहीं लगाया गया है। परिवादी की नेत्र की रोशनी जाने पर उसने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद पेश किया।

National

spot_img

International

spot_img
RELATED ARTICLES