महेश पांडुरंग शेंडे
21 अक्टूबर का दिन आदिवासी समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बाबूराव शेडमाके का शहादत दिवस है। उन्हें गढ़चिरौली जिले के एक आदिवासी क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है। वीर बाबूराव शेडमाके गढ़चिरौली जिले के एक सैनिक थे।
उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को एकजुट किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों ने उन्हें 21 अक्टूबर, 1858 को चंद्रपुर में फांसी दे दी, इसलिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके कार्यों की स्मृति में, आदिवासी समुदाय के भाई और अन्य नेता इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आदिवासी समाज के योगदान संवर्धन कर जल, जंगल, और जमीन के संरक्षक, प्रकृति के सच्चे मित्र माना जाता है । आदिवासी गौरवशाली संस्कृति और परंपराएं हमारे भारत की धरोहर हैं।
हम सब मिलकर आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति, अधिकारों और पहचान का सम्मान करने का संकल्प लें। आदिवासी समाज के संघर्ष, योगदान और प्रकृति के प्रति समर्पण को नमन करते हैं। यह दिन उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का अवसर है।जो परंपराएं और जीवन शैली हमें प्रकृति से जुड़ना सिखाती हैं। जय सेवा-जय गोंडवाना-जय जोहार! के नारे लगाते आदिवासी भाई-बहनों ने शहिद दिन मनाया |
इस कार्यपूर्ती में गाव की माजी महिला सरपंच शिला तलांडे, गाव की प्रतिष्ठित महिला सखुबाई पांडे, गाव सभी महिला वर्ग बड़े बुजुर्ग परदेशी मेश्राम , महेंद्र आत्राम, रमेश सिडाम, संजय कुळमेते, सुदीप सरकार, अमित टेकाम, अनिल तलांडे, विजय वेलादी, सुनील शेडमाके, सूरज तलांडे, नानाजी आत्राम, अतुल तलांडे, रशीक तलांडे, सूरज आळे, दिलीप तलांडे, महेश नैताम,गोपाल नैताम, नितीन पेंदाम, स्वप्निल पोरेते, शरद पेंदाम, नितीन पोरेते युवा वर्ग का कार्यक्रम का सफ़ल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा । साथ ही
गाव में शांतता सुव्यवस्था को ध्यांन में रखते हुवे, शालीनता से पुरस्कृत आष्टी पोलिस निरीक्षक श्री विशाल काळे के नेतृत्व में और कर्त्यवनिष्ठ API श्री मदन मस्के के निगरानी में गावस्तर हो रही सभी कार्यक्रम में शांतता प्रस्थापित कर जीरो टोलरन्स द्वारा उचित नीती एक अनोखी पहल मानी जा रही है ।




